शाम भी रूठी तेरे बिना रात भी रोयी तेरे बिना
दिल को बहुत समझाया समझा नहीं तेरे बिना
शाम भी रूठी तेरे बिना रात भी रोयी तेरे बिना
दिल को बहुत समझाया समझा नहीं तेरे बिना
जब वो मुझसे नाराज होती थी तब
मुझे दुनिया की सबसे महँगी चीज उसकी मुस्कान लगती थी
er kasz
तू मुझमे कहाँ रहती हैं मैं नहीं जानता
मैं खुद में जहाँ भी जाता हूँ तू ही तू मिलती हैं
आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग
जब रूह निकल जाएगी तो कफन हटा हटा कर देखेंगे लोग
रात भर चलती रहती है उँगलियाँ मोबाइल पर
किताब सीने पे रखकर सोये हुए एक जमाना हो गया
er kasz
जला दी जाती है ससुराल में अक्सर वही बेटी
के जिस बेटी की खातिर बाप किडनी बेच देता है
er kasz
हज़ारों ऐब ढूँढ़ते है हम दूसरों में इस तरह
अपने किरदारों में हम लोग,फरिश्तें हो जैसे
एक दूसरे से बिछड़ के हम कितने रंगीले हो गये
मेरी आँखें लाल हो गयी और तेरे हाथ पीले हो गए
सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मुहोब्बत का
एक गरीब इश्क़ कर बैठा है इस महंगाई के दौर मैं
er kasz
कोई मासूम लड़की प्यार में कुर्बान है जिस पर
बनाकर वीडियो उसका वो प्रेमी बेच देता है
er kasz
गुलाम हूँ अपने घर के संस्कारो का वरना
लोगो को उनकी औकात दिखाने का हुनर आज भी रखता हूँ
er kasz
में बंदूक और गिटार दोनों चलाना जानता हूं
तय तुम्हे करना हे की आप कौन सी धुन पर नाचोगे
er kasz
लफ़्जो को पिरोने का हुनर सिखा तुम्ही से हमने
हर लफ्ज हम अब सिर्फ तेरे लिए ही लिखते हैं
er kasz
सुकून ऐ दिल के लिए कभी हाल तो पूँछ ही लिया करो, मालूम तो हमें भी है कि हम आपके कुछ नहीं लगते...! Er kasz
ऐसा क्या लिखूँ की तेरे दिल को तस्सली हो जाए
क्या ये बताना काफी नही की मेरी ज़िन्दगी हो तुम