कल ही तो तोबा की मैंने शराब से
कम्बक्त मौसम आज फिर बेईमान हो गया

देर ना करना हो सके तो वक्त पर लोट आना
वरना सांसकी जगह राख मिलेगी

तड़प उठता हूँ दर्द के मारे
ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है

इश्क़ तो बस नाम दिया है दुनिया ने
एहसास बयां कोई कर पाये तो बात हो

तू जाहिर है लफ्ज़ों में मेरे
मैं गुमनाम हुँ खामोशियों में तेरी

वाकिफ़ है वो मेरी कमज़ोरी से
वो रो देती है और मैं हार जाता हूँ
er kasz

तुम्हे तकलीफ न हो जरा भी चलने में
लो यह दिल चप्पल की जगह पहन लो
er kasz

स्याही थोड़ी कम पड़ गई
वर्ना किस्मत तो अपनी भी खूबसूरत लिखी गई थी

सारा बदन अजीब सी खुशबु से भर गया
शायद तेरा ख्याल हदों से गुजर गया

इतना दर्द तो मरने से भी न होगा
जितना दर्द तेरी ख़ामोशी ने दिया था

सूनो हम तो गरीब ही थे लेकिन
तुम्हे क्या कमी थी जो हमारा दिल ले गयी

बस ऐक चहेरे ने तन्हा कर दिया हमे
वरना हम खुद ऐक महेफिल हुआ करते थे

खुद को खोने का पता नहीं चला
किसी को पाने की यूँ इन्तहा कर दी मैंने

वो जब सामने आये तो अजब हादसा हुआ
हर लफ्ज ए शिकायत ने खुदकुशी कर ली

याद तो आता हूँगा ना तुम्हें मैं
वफाओं का जब कहीं ज़िक्र होता होगा