क्या खूब हुनर है तेरा मेरे बस्ते से कोई पेंसिल नही चुरा सका
और तू सीने से दिल उड़ा कर चल दी
er kasz

सुना है खुदा के दरबार से कुछ फ़रिश्ते फरार हो गए
कुछ तो वापस चले गए और कुछ हमारे यार हो गए
Er kasz

वो लाख तुझे पूजती होगी तू खुश न हो ए खुदा
वो मंदिर भी जाती है तो मेरी गली से गुजरने के लिये
er kasz

झूठ बोलने का रियाज़ करता हूँ सुबह और शाम मैं
सच बोलने की अदा ने हमसे कई अजीज़ यार छीन लिये
Er kasz

इतना भी गुमान न कर अपनी जीत पर ए बेखबर
शहर मे तेरी जीत से ज्र्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैँ
er kasz

में तो हर बार पीछे मुड़ कर देखता रहा
वही रास्ते थे वही मंजर था बस एक तुम ही वहाँ से लापता थे
Er kasz

मेरे किरदार का फैसला मेरे लफ़्ज़ों से न करना
क्योंकि मैं लिखता वही हूँ जो तुम लिखवाते हो
Er kasz

जिस नजाकत से ये लहरे मेरे पैरों को छूती है
यकीन नही होता इन्होने कभी कश्तियाँ डूबाई होगी
Er kasz

तेरे गुरुर को देखकर तेरी तमन्ना भी छोड दी हमने
जरा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुझे मेरी तरह
er kasz

मैं जानता हूँ मेरी खुद्दारियां तुझे खो देंगी लेकिन
मैं क्या करूँ मुझ को मांगने से नफ़रत है
Er kasz

बादलो से कह दो जरा सोच समझकर बरसे
‪अगर मुझे उस बेवफा कि याद आ गयी‬ तो मुकाबला बराबरी का होगा‬
er kasz

जल्द मिलने वाली चीजे ज्यादा दिन तक नही चलती और
जो चीजे ज्यादा दिन तक चलती है वो जल्दी नही मिलती
Er kasz

जब प्यार करे कोई उनसे तो अपने हुस्न पर गुमान करती हैं
जब कोई देखता नहीं उनको तो झुककर सलाम करती हैं

जो मेरे बूरे वक्त मे मेरे साथ हैं में उन्हें वादा करता हूँ
मेरा अच्छा वक्त सिर्फ उनके लिये होगा
Er kasz

अब यूँ भी न परखो मेरी चाहत की गहराइयों को
बस यूँ समझ लो हर रोज़ तुम्हारा नाम लिखकर आखों से लगा लेते हैं