क्यों याद करेगा कोई बेवजह मुझे ऐ खुदा,
लोग तो बेवजह तुम्हे भी याद नहीं करते..

कुछ रूठे हुए लम्हें कुछ टूटे हुए रिश्ते……
हर कदम पर काँच बन कर जख्म देते है..

आज बरसों का जख्म उभर कर सामने आया
जब उसने किसी गैर को अपना और मुझे अजनबी बताया।

मेरे टूटने की वजह मेरे जोहरी से पूछो
उस की ख्वाहिश थी कि मुझे थोडा और तराशा जाये

पानी से भरी आँखें लेकर वह मुझे घूरता ही रहा,
वह आईने में खङा शख्स परेशान बहुत था आज ..!!

बदनसीब मैं हूँ या तू हैं ये तो वक़्त ही बतायेगा..
बस इतना कहता हूँ अब कभी लौट कर मत आना....

बहुत कुछ बदला है मैंने अपने आप में लेकिन.
अभी भी तुम्हे टूट कर चाहना हम नहीं भूल सके.

ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है मुहब्बत के लिए,
फिर रूठकर वक़्त गंवाने की जरूरत क्या है !
Er kasz

फिर किसी ने आज छेड़ा ज़िक्र-ए-मंज़िल इस तरह
दिल के दामन से लिपटने आ गयीं हैं दूरियाँ

तेरा ज़िक्र तेरी फिक्र तेरा एहसास तेरा ख्याल
तू खुदा नहीं फिर हर जगह मौज़ूद क्यूँ हैं

जीवन का सबसे बड़ा गुरु वक्त होता है।
क्योंकि जो वक्त सिखाता है वो कोई नहीं सीखा सकता।.

इतनी हिम्मत नहीं है कि हाल-ए-दिल सुना सकूँ.....
जिसके लिए उदास हूँ वो महसूस करले तो काफी है.....

मत फेर निगाँहे कम्बख़त हमें देख कर
खुद भी रो पड़ेगा हमरे प्यार की तौहीन होती देख कर
er kasz

हजारों चेहरों में एक तुम ही पर मर मिटे थे..
वरना..
ना चाहतों की कमी थी और ना चाहने वालों की..!

अकेले भी इस दुनिया में जीकर क्या करेंगे हम
तन्हाईयों में तुझे याद करके सिर्फ आहें भरेंगे हम