मुझे मालुम हे वह किसी और कि हो गई है
इस दिल का क्या करे जो उस वेवफा पे मरता है

सोच रखी है बहुत सी बाते तुम्हे सुनाने को
तुम हो, के आते ही नहीं हमें मनाने को

उदासियों की वजह तो बहुत है ज़िन्दगी में.
पर बेवजह खुश रहने का मज़ा ही कुछ और है.

हर सख्स पूछता है कहा से लाते हो ये शायरी
कोई ये नहीं पूछता किसके लिए करते हो...

माना की नसीब में अपने कोई "सनम" नहीं....
फिर भी जिंदगी से कोई शिकवा कोई गम नहीं..

बड़ा शौक था उसे मेरा आशियाना देखने का,
जब देखी मेरी गरीबी,रास्ता बदल लिया..!
er kasz

मैंने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी
ग़र हमें बिकना ही होता तो आज यूँ तनहा ना होते

खुद पर भरोसे का हुनर सिख ले ऐ दोस्त
सहारे कितने भी सच्चे हो साथ छोड़ ही जाते है

क्यों ना सज़ा मिलती हमें मोहब्बत मैं
आखिर हम ने भी तो बहुत दिल तोड़े तेरी खातिर

मुझे मालूम था के लौट के अकेले ही आना है
फिर भी तेरे साथ चार कदम चलना अच्छा लगा...!!!

मोहब्बत और भी बढ़ जाती है जुदा होने से..!!
तुम सिर्फ मेरे हो इस बात का ख्याल रखना..!!

लिपट जाती जरुर अगर ज़माने का डर ना होता |
बसा लेती मै तुमको अगर सीने में घर होता

वो मैय्यत पे आए मेरी और झुक के कान में बोले
सच में मर गए हो या कोई नया तमाशा है
Er kasz

कौन कहता है कि मैं खूबसूरत लिखता हूँ ??
खूबसूरत तो वो लोग है जो इसे पसन्द करते हैं !!

अब तो अपनी चाहत की जायदाद बख्श दो
एक अरसा हो गया है मौहब्बत की किश्ते भरते-भरते.....!