दिलो जान से करेंगे हिफ़ाज़त उसकी
बस वो एक बार कह दे की वो मेरा है

सबको मालुम है की जिंदगी बेहाल है
फिर भी लोग पूछते है क्या हाल है
Er kasz

मुझे मेरी कल कि फिकर नही है,
पर ख्वाईश तो उसे पाने की जन्नत तक रहेगी....

जब सब तेरी मर्ज़ी से होता है..
तो ए खुदा ये बन्दा गुन्हेगार कैसे हो गया..

चल पड़ा हूँ मै भी ज़माने के असूलों पर.
मै अब अपनी ही बातो से मुकर जाता हूँ..

खामोशियाँ उदासियों की वजह से नहीं,
बल्कि यादों की वजह से हुआ करती हैं..

काश आंसुओं के साथ यादे भीं बह सकती,
तो एक दिन तस्सल्ली से बैठ कर रो लेते

मेरे मुक़द्दर को यही गिला रहा मुझसे
के किसी और का होता तो संवर गया होता..

वो तडफाना चाहती है, मैं उसको पाना चाहता हूं.
बस यही फर्क है हम दोनों में.

दुकानें उसकी भी लुट जाती है,
जो दिन भर में न जाने कितने ताले बेच देता है !

अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा
जहाँ लोग मिलते कम झांकते ज़्यादा है
er kasz

नसीब का खेल भी अजीब तरह से खेला हमने
जो न था नसीब में उसी को टूट कर चाह बैठे

वो तो शायरों ने लफ़झों से सजा रखा है
वरना महोब्बत इतनी भी हसीं नहीं होती....!!!

ज़िन्दगी नमक सी हो गयी है अब तो मेरी
लोग जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करते है

बिना मेरे रह ही जायेगी कोई ना कोई कमी.
तूम जिंदगी को चाहे कितना भी संवार लो..