यहाँ खामोश नज़रों का नज़ारा कौन बनता है
बहुत गहरे समुन्दर का किनारा कौन बनता है
चलो हम देखते हैं खुद को अब बरबाद करके भी
के इन बरबादियों में भी हमारा कौन बनता है
कोई शीशा अगर टूटे तो वापस जुड़ नहीं सकता
मोहब्बत में फ़ना होकर दोबारा कौन बनता है
चलो फिर आजमा लो तुम सभी अपने प्यारों को
तुम्हारे दर्द में देखो तुम्हारा कौन बनता है

Your Comment Comment Head Icon

Login