एक आंसूं कह गया सब हाल दिल का
मैं समजा था ये ज़ालिम बे ज़बान है
er kasz

ना पीने की हजार वजहे है मेरे पास ।
और पीने का सिर्फ एक बहाना हो तुम

इतना भी प्यार किस काम का.
भूलना भी चाहो तो नफरत की हद्द तक जाना पड़े.

दोस्ती का इरादा था प्यार हो गया
दोस्तो अब दुआ दीजिये सलाह नही
er kasz

हर बुराई का ईल्ज़ाम मुझ पर आ गया
कितना बुरा था मेरा अच्छा होना
er kasz

जरा सा भी नही पिघलता दिल तेरा
इतना क़ीमती पत्थर कहाँ से ख़रीदा है

अपने उसूल कभी यूँ भी तोड़ने पड़े खता उसकी थी
हाथ मुझे जोड़ने पड़े

देख जिँदगी तू हमे रुलाना छोड दे
अगर हम खफा हूऐ तो तूझे छोड देँगे
Er kasz

रोशनी में कमी आ जाए तोह बता देना
दिल आज भी हाज़िर हैं जलने के लिये
er kasz

हो सके तो अब कोई सौदा न करना
मैं पिछली मोहब्बत में सब हार आया हूँ
er kasz

बडी अजीब खमोश जंग है मोहब्बत की
खुद से ही लडते है किसी बेवफा के लिये

मत पूछ दास्तान ऐ इश्क
जो रूलाता है, उसी के गले लगकर रोने का मन करता है

मेरे दिल के अहसासो को समझा न कोई ...हर एक ने मेरे दर्द का तमाशा बना दिया...Er kasz

मुझे किसी के छोड़ जाने का दुख नहीं
बस कोई ऐसा था जिस से यह उम्मीद ना थी..

सम्भाल के रखना अपनी पीठ को...
शाबाशी " और " खंजर "दोनों वहीं मिलते है ...Er kasz