शायरी का बादशाह हूं और कलम मेरी रानी

अलफाज मेरे गूलाम है बाकी रब की महेरबानी

यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने.
कि इल्जाम झूठे भले हैं पर लगाये तो तुमने हैं
Er kasz

हुश्न ऐसा बाग हैं जिसमें हजरत आते नहीं
कोन सी ऐसी कली हैं जो खिलकर मुरझाते नहीं

उस के सिवा किसी और को चाहना मेरे बस में नहीं
ये दिल उस का है अपना होता तो बात और थी..

गर इसी रफ़्तार से मानेंगे सब खुद को खुदा
एक दिन दुनिया में बन्दों की कमी हो जाएगी

मयखाने से पूछा आज इतना सन्नाटा क्यों है
बोला साहब लहू का दौर है शराब कौन पीता है

तेरी बहो में आकर हमने दुनिया को पहचाना है
हॉट अहै प्यार चीज क्या, हमने अब जाना है

किसी टूटे हुए मकान की तरह हो गया है ये दिल...
कोई रहता भी नही और कमबख्त बिकता भी नही...!

लोग कहते है की मोहब्बत एक बार होती है
लेकिन मैं जब जब उसे देखू मुझे हर बार होती है

मालुम था कुछ नही होगा हासिल लेकिन
वो इश्क ही क्या जिसमें खुद को ना गवायाँ जाए
er kasz

बहुत अच्छा लगेगा ज़िन्दगी का ये सफ़र
आप वहा से याद करना हम यहाँ से मुस्कुराएंगे

हज़ार बार ली है तुमने तलाशी मेरे दिल की
बताओ कभी कुछ मिला है इसमें तुम्हारे सिवा

नकाब तो उनका सर से ले कर पांव तक था
मगर आँखे बता रही थी के मोहब्बत के शौकीन थे वो
er kasz

लपेट ली है मैंने तेरे अहसास की चादर
पता है मुझे आज फिर तेरी यादों की बारिश तेज़ है

मैं वो हूँ जो कहता था की इश्क़ मे क्या रखा है
आजकल एक हीर ने मुझे रांझा बना रखा है
er kasz