जितना रूँठना है रूँठ ले पगली..!!
जिस दिन हम रूँठ गए उस दिन तू जीना ही भूल जाएगी...!!!
जितना रूँठना है रूँठ ले पगली..!!
जिस दिन हम रूँठ गए उस दिन तू जीना ही भूल जाएगी...!!!
ठान लिया था कि अब और नहीं लिखेंगे
पर उन्हें देखा और अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे
er kasz
सब तेरी मोहब्बत की इनायत है
वरना मैं क्या मेरा दिल क्या मेरी शायरी क्या
er kasz
बिन हसिनाओ के कोई ख़्वाब सजा नहीं सकता
तुम लाख छिपाओ मगर प्यार छिप नहीं सकता
वो ढल रहा है तो ये भी रंगत बदल रही है
ज़मीन सूरज की उँगलियों से फिसल रही है
er kasz
उम्र भर उठाया बोझ दीवार पर लगी उस कील ने .......
और लोग तारीफ़ तस्वीर की करते रहे ... Er kasz
सच ही कहा था किसी ने तनहा जीना सीख
मोहब्बत जितनी भी सच्ची हो तनहा छोड़ जाती है
लफ़्ज़ अल्फ़ाज़ कागज़ और किताब
कहाँ कहाँ नहीं रखता तेरी यादों का हिसाब
er kasz
रिश्ते अगर बढ़ जाये हद से तो ग़म मिलते है
इसलिए आजकल हम हर शख्स से कम मिलते है
उनकी नजरो में फर्क अब भी नहीं पहले मुड़ के देखते थे
और अब देख के मुड़ जाते हेै
मुहोब्बत नहीं थी उसे मुझसे ये जानता था मैं
फिर भी ये बात कहाँ मानता था मैं
er kasz
काश तू सुन पाता खामोश सिसकियां मेरी आवाज़ करके रोना
तो मुझे आज भी नहीं आता !!. Er kasz
शीकायते तो बहुत है तुझसे ए जिन्दगी
पर जो दिया तूने वो भी बहुतो को नसीब नही
er kasz
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तेरी मुहब्बत भी किराये के घर की तरह थी…. .
कितना भी सजाया पर मेरी नहीं हुई…. Er kasz
मोहब्बत की है "कोई कत्ल🔪 तो नहीँ"
क्युँ बार-बार कहते है लोग "जरा बचकर रहना" Er kasz