साकी मुझे बतला भी दे मुंह फेर के मत हँस
कि मैं अगर पि ली तो तेरा क्या हुआ

अपना वजूद मत बताओ हमें साहिब
हम झाँक कर दिलों की गहराई जान लेते हैं
Er kasz

इश्क का धंधा ही बंघ कर दिया साहेब
मुनाफे में जेब जले और घाटे में दिल
er kasz

देखना मै तुम्हे कहीं भूल ही न जाऊं
इतने मुद्दतों तक कोई खफा नहीं रहते Er kasz

जो नासमझ है वो ही मोहब्बत करता है
वो मोहब्बत ही क्या जो समझ में आ जाए
er kasz

मौत और मोहब्बत तो बस नाम से बदनाम है
असली दर्द तो स्लो इन्टरनेट देता है

टूट गया आसमां फट गयी जमीं
रो दिया मुकद्दर भी जब देखा मासूम भाई का प्यार

इश्क का धंधा ही बंद कर दिया हमने
वरना मुनाफे में जेब जले और घाटे में दिल

कंधे पर रखके सर अपना सिरे लग जाओ
ये प्यार की घडिया है क्षण भार को सों जाओ

आबाद भी देखा है वीराने भी देखे है
जो उजड़े और न बसे दिल वो निराली बस्ती है

इश्क, इश्क, इश्क ज़माने में जो करते है
दिल जिसे दे देता है गम उसी का लेते है

बुरे हैं ह़म तभी तो ज़ी रहे हैं
अच्छे होते तो द़ुनिया ज़ीने नही देती
Er kasz

ना शाख़ों ने जगह दी ना हवाओ ने बक़शा
वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता
er kasz

बदल जाती हो तुम कुछ पल साथ बिताने के बाद
यह तुम मोहब्बत करती हो या नशा
Er kasz

सुना है आजकल तेरी मुस्कुराहट गायब हो गई
तू कहे तो फिर से तेरे करीब आ जाऊं