. ना जाने कितना कुछ...कहती हैं तुमसे
खामोशियां ये मेरी !
और शिकवा तुम्हें यही है...कि हम बोलते नहीं !!

मेरे सीने में जो दिल है उसमें तुम रहती हो
तुम्हें मुझसे मुहब्बत है यह बात कहते हुए क्यों डरती हो

दोस्त तुम पत्थर भी मारोगे तो भर लेंगे झोली अपनी,
क्योंकि हम यारों के तोहफ़े ठुकराया नहीं करते !! Er kasz

तेरी यादों के संग बरसती रही अश्कों की बारिश.
भीग गई हथेलियाँ ढूंढते ढूंढते लकीरों में तेरा नाम.!Er kasz

ये मोहब्बत के हादसे अक्सर दिलों को तोड़ देते हैं
तुम मंज़िल की बात करते हो लोग राहों में छोड़ देते हैं

इस रात की उदासियों से पूछो मेरे दिल की हालत
जब भी तुम्हारी याद आती है ये अँधेरे और भी गहरे हो जाते है

जो मेरे बूरे वक्त मे मेरे साथ हैं में उन्हें वादा करता हूँ
मेरा अच्छा वक्त सिर्फ उनके लिये होगा
Er kasz

तुझे तो हमारी मोहब्बत ने मशहूर कर दिया बेवफ़ा ….
वरना तू सुर्खियों में रहे तेरी इतनी औकात नहीं……! Er kasz

तू वो ज़ालिम है जो दिल में रह कर भी मेरा ना बन सका ग़ालिब
और दिल वो काफिर है जो मुझ में रह कर भी तेरा हो गया

झूठ बोलते है वो लोग जो कहते हैं, हम सब मिटटी से बने हैं......!!
मैं एक शख्स से वाकिफ हूँ, जो पत्थर का बना हैं...................!!

उम्र में,ओहदे में, कौन कितना
बड़ा है, फर्क नही पड़ता ।
लहजे में, कौन कितना
झुकता है, फर्क ये पड़ता है।। Er kasZ

घर वाले मुझे सुबह-सुबह ऐसे उठाते है
जैसे तीसरा विश्वयुद्ध शुरु हो गया है और मैं ही आखरी सैनिक बचा हूँ

हारना तब आवश्यक हो जाता हैं जब लड़ाई अपनों से हो
और जीतना तब आवश्यक हो जाता हैं जब लड़ाई अपने आप से हो
Er kasz

एक अज़ीब सा रिश्ता है मेरे और ख्वाहिशों के दरम्यां,
वो मुझे जीने नही देती… और मै उन्हे मरने नही देता.Er kasz

नीलाम कुछ इस कदर हुए, बाज़ार-ए-वफ़ा में हम आज,
बोली लगाने वाले भी वो ही थे, जो कभी झोली फैला कर माँगा करते थे!! Er kasz