ज़ुल्म इतने ना कर के लोग कहे तुझे दुश्मन मेरा..
मैंने ज़माने को तुझे अपना प्यार बता रखा है.

मंज़िलों से गुमराह भी ,कर देते हैं कुछ लोग ।।
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता !!Er kasz

ए इश्क़ तुझसे दिल की बात कहूँ तो बुरा तो नही मानोगे..
बहुत चैन के दिन थे तेरी पहचान से पहले..

तेरी ख्वाहिश कर ली तो कौन सा गुनाह किया
लोग तो इबादत में पूरी क़ायनात मांगते हैं खुदा से

तुमसे मोहब्बत तुम्हारी नहीं खुदा की मरजी है
यूँ लोग तो और भी मिला करते थे हमसे बे-हिसाब

चन्द लम्हें जो गुज़ार आया हूँ अंजानो के साथ
दिल नहीं लगता मेरा अब जाने पहचानों के साथ
er kasz

प्रेम दिवानो का क्या बिगाड़ेगा ये जालिम जमाना
लाख दितम ढाले कोई पर बनके ही रहेगा अफसाना

सुकून ऐ दिल के लिए कभी हाल तो पूँछ ही लिया करो, मालूम तो हमें भी है कि हम आपके कुछ नहीं लगते...! Er kasz

☄एक बार भूल से ही कहा होता कि हम किसी और के
भी है
.
खुदा कसम हम तेरे साये से भी दूर रहते.. ☄ Er kasz

मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ रंगीन है
वर्ना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है
er kasz

दोस्तों का क्या है वो तो यों ही बन जाते है मुफ़्त में,
आओ चलो आज सच बोलकर कुछ दुश्मन बनाये ।Er kasz

मैंने ये सोचकर‪ उसकी‬ सारी बातो को‪ सच‬ मान लिया की
ईतनी‪ अच्छी‬ है तो‪ झुठ‬ कैसे बोलेगी

किसी ने आज पूछा हमसे कहाँ से लाते हो ये शायरी
मैं मुस्करा के बोला उसके ख्यालो मे डूब कर
Er kasz

चाहता तो हूँ की ये दुनिया बदल दूँ
पर दो वक़्त की रोटी के जुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती दोस्तो

क्या खूब हूनर है तेरा मेरे बस्ते से कोई पेन्सिल नहीं चुरा सका
और तू सिने से दिल उडा कर चल दी