चाहे तो दिल की किताब खोल भी देते हम,
मगर उस पढने वाले को फुरसत ही नही थी...!

‎जिंदगी‬ भर के ‪इम्तिहान‬ के बाद
वो ‪शख्स‬ नतीजे में किसी और का निकला

जहाँ न सुख का हो अहसास और न दुख की कसक
उसी मुक़ाम पे अब शायरी है और मैं हूँ

ज़र्रा ज़र्रा जल जाने को हाज़िर हूँ,
बस शर्त है कि वो ...आँच तुम्हारी हो. Er kasz

ए खुदा तु ही मेरा इन्साफ़ कर दे,
अगर दुरिया ही देनी थी,तो मिलाया ही क्यो!
=RPS

कितने आंसू बहाऊँ उस बेवफा के लिए
जिसको खुदा ने मेरे नसीब मैं लिखा ही नही

लगता है खुदा का बुलावा आने वाला है
आज कल मेरी झूठी कसम खा रही है वो "पगली"

सुनो कुछ लोग बाकई बहुत खूबसूरत होते है
घर बैठी अपनी माँ को ही देख लीजिये

एक तेरा ही नशा हमें मात दे गया वरना,
मयखाना भी हमारे हाथ जोड़ा करता था !
er kasz

अब तो आंखो से भी जलन होती है मुझे
खुली हो तो तलाश तेरी बंद हो तो ख्वाब तेरे

अजीब रंग मे गुजरी है जिन्दगी अपनी
दिलो पर राज किया और मोहब्बत को तरसे
Er kasz

काश तुम भी हो जाओ तुम्हारी यादों की तरह
ना वक़्त देखो ना बहाना बस चलेआओ
er kasz

तरस गए हैं तेरे लब से कुछ सुनने को हम.
प्यार की बात न सही कोई शिकायत ही कर दे..

अरे अरे इतना डुब के क्या पढ रहे हो हुजूर
मेरी शायरी है आपका प्रेम पत्र नही

ना जाने इस ज़िद का नतीज़ा क्या होगा..
समझता दिल भी नहीँ, वो भी नहीँ, मैँ भी नहीँ..