अपना वजूद मत बताओ हमें साहिब
हम झाँक कर दिलों की गहराई जान लेते हैं
Er kasz
अपना वजूद मत बताओ हमें साहिब
हम झाँक कर दिलों की गहराई जान लेते हैं
Er kasz
ज़र्रा ज़र्रा जल जाने को हाज़िर हूँ,
बस शर्त है कि वो ...आँच तुम्हारी हो. Er kasz
मन लो कहना हसीनो दिल लगाना छोड़ दो
आशिको पर जुल्म करके मुस्कराना छोड़ दो
लाश पता नही किस बदकिस्मत की थी मगर
क़ातिल के पैरो के निशान बड़े हसीन थे
ज़िंदगी मे इससे बढकर रंज क्या होगा
उसका ये कहना की तू शायर है दीवाना नही
अब इतना भी सादगी का जमाना नही रहा
की तुम वक़्त गुजारो और हम प्यार समझें
हाथ की लकीरें भी कितनी अजीब हैं
हाथ के अन्दर हैं पर काबू से बाहर होती है
बदन समेट के ले जाए जैसे शाम की धूप
तुम्हारे शहर से मैं इस तरह गुजरता हूँ
किसी की यादों में नही लिखता हूँ
हाँ लिखता हूँ तो किसी की याद जरूर आती है
सुना है आग लग गयी है बेवफाओ की बस्ती में
या खुदा मेरे मेहबूब की खैर रखना
दफ़न हे मुझमे मेरी कितनी रौनके मत पूछो
उजड़ उजड़ कर जो बसता रहा वो शहर हु मे
नाराजगी डर नफरत या फिर प्यार
कुछ तो जरुर है जो तुम मुझ से दूर दूर रहते हो
मिले जब चार कंधे तो दिल ने ये कहा मुझसे
जीते जी मिला होता तो एक ही काफी था
इजाजत होतोतेरे पास आ जाऊ मै,,,.......?...
चाँद के पास भी तो एक सितारा रहता है ना....
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आपका गम है फिर भी मजा इसी जीने में है
आप नहीं तो क्या हुआ पर गम सीने में है