आशिक था मेरे अदंर ,कुछ साल पहले गुज़र गया...
अब तो इक शायर सा है जो अज़ीब-अज़ीब बातें करता है..

वो काग़ज़ आज भी फूलों की तरह महकता है
जिस पर उसने मज़ाक़ से लिखा था मुझे तुमसे मोहब्बत है

ज़ुल्म इतना ना कर की लोग कहेँ तुझे दुश्मन मेरा...
हमने ज़माने को तुझे अपनी जान बता रख्खा हे..

फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ इश्क मुकम्मल,
इंसानों को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है….!

कितने अनमोल होते हैं यह मोहब्बत के रिश्ते भी
ताल्लुक टूट भी जाये पर चाहत कभी कम नहीं होती !!!

इतनी शिद्दत से अगर मौत भी मांगू तो वो भी आ जाये,
जितनी शिद्दत से हम उन्हें याद किया करते हैं....

हर किसी के नसीब में कहाँ लिखी हैं चाहतें
कुछ लोग दुनिया मैं आते हैं सिर्फ तन्हाइयों के लिए

प्यार मोहब्बत आशिकी..
ये बस अल्फाज थे..
मगर.. जब तुम मिले..
तब इन अल्फाजो को मायने मिले !!
•• Er kasz

मेरी आँखों के जादु से अभी तुम कहा वाकिफ हो ,
हम उसे भी जीना सिखा देते हे जिसे मरने का शौक हो.
er kasz

जब ख्वाबों के रास्ते ज़रूरतों की ओर मुड़ जाते हैं.
तब असल ज़िन्दगी के मायने समझ में आते हैं...!

जब ख्वाबों के रास्ते ज़रूरतों की ओर मुड़ जाते हैं.
तब असल ज़िन्दगी के मायने समझ में आते हैं...!

सुना है तेरी नज़रों से क़तल हो जाते हैं लोग
एक नज़र से हम को भी देख लो अब ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती...

मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा
जिन्हे दावा था वफ़ा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा..

सजा बन जाती है गुज़रे हुए वक्त की यादें,
न जाने क्यों छोड़ जाने के लिए जिंदगी में आ जाते हैं लोग..!!

गुज़र गया वो वक़्त जब हम तुम्हारे तलबगार हुआ करते थे.
अब ज़िन्दगी भी बन जाओ तो क़ुबूल नहीं करेंगे.