जिनके राहों में हमने बिछाये थे सितारे; उनसे कहते हैं हरपाल आंसुओं के सहारे; हो गए हैं सारे शिकवे कितने किनारे; मगर फिर भी क्यों वो हुए ना हमारे!

दिन तो बीत जाते है सुहानी यादें बनकर; बाते रह जाती हैं सिर्फ कहानी बनकर; पर दोस्त तो दिल के करीब ही रहेंगे; कभी मुस्कान तो कभी आँखों का पानी बनकर!

प्यासे को इक कतरा पानी ही काफी है; इश्क में चार पल की जिंदगानी ही काफी है; हम डूबने को समँदर में भला जाए क्यो; उनकी पलको से टपका वो आंसू ही काफी है।

किसी को यूँ रुलाया नहीं करते; झूठे ख्वाब किसी को दिखाया नहीं करते; अगर कोई आपकी जिंदगी में ख़ास नहीं है; तो उसे रह-रह के ये असहास दिलाया नहीं करते।

जाहिर नहीँ होने देता पर मैँ रोज रोता हूँ; और वो पानी मेरे घर से​ ​निकलता है; ​​ ​ लोग कहते है एक बहता दरिया जिसे;​​ वो दरिया मेरे शहर से निकलता है।​

कौन रोकेगा अब इन बहती हुई आँखों को; क्योंकि रुलाना तो पुरानी आदत है ज़माने की; एक ही शख्स था जो थाम लेता था हमको; पर अब उसे भी आदत हो गयी है आज़माने की।

आँख की ये एक हसरत थी कि बस पूरी हुई; आँसुओं में भीग जाने की हवस पूरी हुई; आ रही है जिस्म की दीवार गिरने की सदा; एक अजब ख्वाहिश थी जो अब के बरस पूरी हुई।

आँसुओं को पलकों पे लाया मत कीजिये; दिल की बातें हर किसी को बताया न कीजिये; लोग मुट्ठी में नमक लिए फिरते हैं; अपना हर ज़ख़्म लोगों को दिखाया न कीजिये।

क्या मिला प्यार में अपनी ज़िंदगी के लिए; रोज़ आँसू ही पिए हैं मैंने किसी के लिए; वो गैरों में खुशियां मनाते रहे; और हमे अपनी ही हँसी के लिए तड़पाते रहे।

मोहब्बत के भी कुछ अंदाज़ होते हैं; जागती आँखों के भी कुछ ख्वाब होते हैं; जरुरी नहीं कि गम में ही आँसू निकलें; मुस्कुराती आँखों में भी सैलाब होते हैं।

क्या आये तुम जो आये घडी दो घडी के बाद; सीने में होगी सांस अड़ी दो घडी के बाद; क्या रोका अपने गिर्ये को हम ने कि लग गयी; फिर वही आँसुओं की झड़ी दो घडी के बाद।

कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ; गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ; रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आंसू; मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ।

कभी उसको हमारी यादों ने सताया होगा; चेहरा हमारा आँखों से आँसुओं ने मिटाया होगा; ग़म ये नहीं कि वो भूल गए होंगे हमको; ग़म ये है कि बहुत रो-रो कर भुलाया होगा।

अय दिल किसी की याद में रोना फ़जूल है; आंसू बड़े अनमोल हैं इन्हें खोना फ़जूल है; रो तू उनके लिए जो तुझ पर निसार हैं; उनके लिए क्या रोना जिनके आशिक हजार हैं।

तुम करोगे याद एक दिन इस प्यार के ज़माने को; चले जाएँगे जब हम कभी ना वापस आने को; करेगा महफ़िल मे जब ज़िक्र हमारा कोई; तब आप भी तन्हाई ढूंढोगे आँसू बहाने को।