हम तो फना हो गए उनकी आँखे देखकर ग़ालिब; ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे!
हम तो फना हो गए उनकी आँखे देखकर ग़ालिब; ना जाने वो आइना कैसे देखते होंगे!
बहुत खूबसूरत हैं आँखें तुम्हारी; इन्हें बना दो किस्मत हमारी; हमें नहीं चाहिये ज़माने की खुशियाँ; अगर मिल जाये बस मोहब्बत तुम्हारी।
कोई शायर तो कोई फकीर बन जाये; आपको जो देखे वो खुद तस्वीर बन जाये; ना फूलों की ज़रूरत ना कलियों की; जहाँ आप पैर रख दो वहीं कश्मीर बन जाये।
अच्छी सूरत को सवारने की ज़रूरत क्या है; सादगी भी तो क़यामत की अदा होती है।
फ़िज़ा में महकती शाम हो तुम; प्यार में खहकता जाम हो तुम; तुम्हें दिल में छुपाये फिरते हैं; ऐ दोस्त मेरी ज़िंदगी का दूसरा नाम हो तुम।
आराम से कट रही थी तो अच्छी थी; जिंदगी तू कहाँ इन आँखों की बातों में आ गयी!
तुझें झूठ बोलना हम ही ने सिखाया है
तेरी हर बात को सच मान-मान कर
हमारा क़त्ल करने की उनकी साजिश तो देखो; गुज़रे जब करीब से तो चेहरे से पर्दा हटा लिया।
सोचा था इस कदर उनको भूल जाएँगे; देखकर भी उनको अनदेखा कर जाएँगे; पर जब जब सामने आया उनका चेहरा; सोचा एस बार देख ले अगली बार भूल जाएँगे।
हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की; और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की; शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुदा से है; क्या ज़रूरत थी तुम्हें इतना खूबसूरत बनाने की?
कहाँ से लाऊं वो शब्द जो तेरी तारीफ के क़ाबिल हो; कहाँ से लाऊं वो चाँद जिसमें तेरी ख़ूबसूरती शामिल हो; ए मेरे बेवफा सनम एक बार बता दे मुझकों; कहाँ से लाऊं वो किस्मत जिसमें तु बस मुझे हांसिल हो।
दिल अजब शहर था ख्यालों का; लूटा मारा है हुस्न वालों का।
हुनर सड़को पर तमाशा करता है
और किस्मत महलो पर राज़ करती है
आँख बंद करके चलाना खंजर मुझ पे; कही तुम मुस्कुरा दिए तो हम बिना खंजर ही मर जायेंगे।
हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का; कभी खुद से भी पूछा है इतने हसीन क्यों हो।