तकदीर ने जैसे चाहा हम वैसे ही ढल गये
बहुत संभल के चले फ़िर भी फिसल गये
किसी ने तोडा विश्वाश तो किसी ने तोडी आस

फिर भी जमाने को लगा कि हम ही बदल गये

दिल ऐसा किसी ने मेरा तोडा OLX के लायक भी नहीं छोड़ा..

आँखें जब चाहें जो चाहें बोलतीं हैं
लबों को ये इज़ाज़त कभी मिली ही नहीं

मेरा दिल मुझसे कहता है कि वो बापस आयेगी
मैँ दिल से कहता हूँ कि उसने तुझे भी झूठ बोलना सिखा दिया

जब भी कोइ दोस्त पूंछता है हमसें भाभी कैसी है
दिल की घड़कनें रुक जाती है और जूबान पे एक ही सवाल आता है
कौन सी ?

वो मुहब्बत भी उसकी थी वो नफरत भी उसकी थी ,
वो अपनाने और ठुकराने की अदा भी उसकी थी !
मैं अपनी वफा का इन्साफ किस से मांगता ,
वो शहर भी उसका था वो अदालत भी उसकी थी !
=RPS

जब भी अपनी शख्शियत पर गुमान हो
एक फेरा कब्रस्तान का जरुर लगा लेना

मै तो बस आपके साथ चलना चाहता था
पर आपने बदनाम कर दिया कि पीछा करता हेै

वो मिली थी रास्ते पर पूछ रही थी 
कहाँ रहते हो आज-कल......
हमने भी मुस्कुरा के कह दिया “नशे” में…! Er kasz

तकदीर बनाने वाले, तूने भी हद कर दी;
तकदीर में किसी और का नाम लिखा था;
और दिल में चाहत किसी और की भर दी! Er kasz