ए पलक तू बंद हो जा ख्बाबों में उनकी सूरत नजर आयेगी; मुलाक़ात तो सुबह दोबारा होगी कम से कम रात तो खुशी से कट जायेगी। शुभ रात्रि!
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ए पलक तू बंद हो जा ख्बाबों में उनकी सूरत नजर आयेगी; मुलाक़ात तो सुबह दोबारा होगी कम से कम रात तो खुशी से कट जायेगी। शुभ रात्रि!
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