कुदरत के करिश्मों में अगर रात ना होती; ख्वाबों में भी उनसे मुलाक़ात ना होती; सो जाते हैं हम इसी आस में; कि आज नहीं तो कल कभी तो उनसे बात होगी। शुभ रात्रि!
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कुदरत के करिश्मों में अगर रात ना होती; ख्वाबों में भी उनसे मुलाक़ात ना होती; सो जाते हैं हम इसी आस में; कि आज नहीं तो कल कभी तो उनसे बात होगी। शुभ रात्रि!
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