मिलने आएँगे आपसे ख्वाबों में; ज़रा रौशनी के दीये बुझा दीजिए; अब और नहीं होता इंतज़ार आपसे मुलाकात का; अपनी आँखों के परदे गिरा दीजिए। शुभरात्रि!
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मिलने आएँगे आपसे ख्वाबों में; ज़रा रौशनी के दीये बुझा दीजिए; अब और नहीं होता इंतज़ार आपसे मुलाकात का; अपनी आँखों के परदे गिरा दीजिए। शुभरात्रि!
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