सपनों में मेरे हो तुम ही तुम; तुम्हारा नूर ही है जो पड़ रहा है चेहरे पे; दिन रात आती हो मेरे ख्यालों में; वरना कौन देखता तुम्हें अँधेरे में| शुभरात्रि!
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सपनों में मेरे हो तुम ही तुम; तुम्हारा नूर ही है जो पड़ रहा है चेहरे पे; दिन रात आती हो मेरे ख्यालों में; वरना कौन देखता तुम्हें अँधेरे में| शुभरात्रि!
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