क्यूँ रोज-रोज चुभोती हो अपनी यादों की सुई मेरे सीने में
ऐ जानेमन
बस एक बार मेरी रूह में उतर जाओ मै तो खुदबखुद ही मर जाऊंगा
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क्यूँ रोज-रोज चुभोती हो अपनी यादों की सुई मेरे सीने में
ऐ जानेमन
बस एक बार मेरी रूह में उतर जाओ मै तो खुदबखुद ही मर जाऊंगा
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