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Bewafa Shayari
मेरी काबिलियत को तुम क्या परखोगे
मेरी काबिलियत को तुम क्या परखोगे
मेरी काबिलियत को तुम क्या परखोगे ए गालिब
इतनी छोटी सी उमर मेँ ही लाखो दुश्मन बना रखे हैं
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