कामयाबी के भी कुछ असूल होते हैं; बुझदिलों के नखरे तो फ़िज़ूल होते हैं; रखते नहीं जो पाबंध खुद को वक़्त के साथ; वो ज़िन्दगी की दौड़ में राख और धूल होते हैं।
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कामयाबी के भी कुछ असूल होते हैं; बुझदिलों के नखरे तो फ़िज़ूल होते हैं; रखते नहीं जो पाबंध खुद को वक़्त के साथ; वो ज़िन्दगी की दौड़ में राख और धूल होते हैं।
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