ताश के पत्तों से कभी महल नहीं बनता; नदी को रोक लेने से कभी समंदर नहीं बनता; बढ़ते रहो ज़िंदगी में हर पल किसी नयी दिशा की तरफ; क्योंकि बस एक जंग जीतने से कोई सिकंदर नहीं बनता।
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ताश के पत्तों से कभी महल नहीं बनता; नदी को रोक लेने से कभी समंदर नहीं बनता; बढ़ते रहो ज़िंदगी में हर पल किसी नयी दिशा की तरफ; क्योंकि बस एक जंग जीतने से कोई सिकंदर नहीं बनता।
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