बुझने लगी हों आँखें तेरी चाहे थमने लगे रफ़्तार; उखड़ने लगी हों साँसे तेरी दिल करता हो चित्कार; दोष विधाता को ना देना बस मन में रखना तुम अपने आस; विजयी बनता है वही जिसके पास हो आत्मविश्वास।
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बुझने लगी हों आँखें तेरी चाहे थमने लगे रफ़्तार; उखड़ने लगी हों साँसे तेरी दिल करता हो चित्कार; दोष विधाता को ना देना बस मन में रखना तुम अपने आस; विजयी बनता है वही जिसके पास हो आत्मविश्वास।
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