आँखें मुझे तलवे से मलने नहीं देते; अरमान मेरे दिल के निकलने नहीं देते; खातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते; सच है कि हमीं दिल को संभलने नहीं दते; किसी नाज़ से कहते हैं झुंझला के शब-ए-वस्ल; तुम तो हमें करवट भी बदलने नहीं देते।

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