चंद फाँसले हों दरमियाँ ये भी लाज़मी है; डरता हूँ अगर नज़दीकियाँ बढ़ गई तो; कहीं मोहब्बत ना हो जाए शख़्सियत से तेरी!
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चंद फाँसले हों दरमियाँ ये भी लाज़मी है; डरता हूँ अगर नज़दीकियाँ बढ़ गई तो; कहीं मोहब्बत ना हो जाए शख़्सियत से तेरी!
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