तू महक बन कर मुझ से गुलाबों में मिला कर; जिसे छू कर मैं महसूस कर सकूँ; तू मस्ती की तरह मुझ से शराबों में मिला कर; मैं भी इंसान हूँ डर मुझ को भी है बहक जाने का; इस वास्ते तू मुझ से हिजाबों में मिला कर।

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