फूलों की याद आती है काँटों को छूने पर; रिश्तों की समझ आती है फासलों पे रहने पर; कुछ जज़्बात ऐसे भी होते हैं जो आँखों से बयां नहीं होते; वो तो महसूस होते हैं ज़ुबान से कहने पर।

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