सिर्फ नज़र से जलाते हो आग चाहत की; जलाकर क्यों बुझाते हो आग चाहत की; सर्द रातों में भी तपन का एहसास रहे; हवा देकर बढ़ाते हो आग चाहत की।q
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सिर्फ नज़र से जलाते हो आग चाहत की; जलाकर क्यों बुझाते हो आग चाहत की; सर्द रातों में भी तपन का एहसास रहे; हवा देकर बढ़ाते हो आग चाहत की।q
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