हम उस से थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैं; न जाने उस से मिलने का इरादा कैसा लगता है; मैं धीरे धीरे उन का दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ; वो आँखें कितनी क़ातिल हैं वो चेहरा कैसा लगता है।
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हम उस से थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैं; न जाने उस से मिलने का इरादा कैसा लगता है; मैं धीरे धीरे उन का दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ; वो आँखें कितनी क़ातिल हैं वो चेहरा कैसा लगता है।
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