हर बार दिल से ये पैगाम आए; ज़ुबाँ खोलूं तो तेरा ही नाम आए; तुम ही क्यूँ भाए दिल को क्या मालूम; जब नज़रों के सामने हसीन तमाम आए|
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हर बार दिल से ये पैगाम आए; ज़ुबाँ खोलूं तो तेरा ही नाम आए; तुम ही क्यूँ भाए दिल को क्या मालूम; जब नज़रों के सामने हसीन तमाम आए|
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