होठों पर मोहब्बत के फ़साने नहीं आते; साहिल पर समंदर के खजाने नहीं आते; पलकें भी चमक उठती हैं सोते हुए हमारी; आँखों को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते।
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होठों पर मोहब्बत के फ़साने नहीं आते; साहिल पर समंदर के खजाने नहीं आते; पलकें भी चमक उठती हैं सोते हुए हमारी; आँखों को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते।
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