ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो; नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें; अब न वो मैं हूं न तू है न वो माज़ी है फ़राज़ जैसे दो साये तमन्ना के सराबों में मिलें।
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ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो; नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें; अब न वो मैं हूं न तू है न वो माज़ी है फ़राज़ जैसे दो साये तमन्ना के सराबों में मिलें।
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