तेरी मेरी कहानी, जेसे बारिशो का पानी..
इश्क़ नाज़ुक मिजाज़ है बे-हद; अक्ल का बोझ उठा नहीं सकता।
कुछ खेल नहीं है इश्क़ करना; ये ज़िंदगी भर का रत-जगा है।
तुम बहारों की आरजू न करो; हमने कांटों में फूल देखे हैं।
कल तेरा जिक्र हुआ महफ़िल में और महफ़िल देर तक महकती रही।
अगर हो सके तो वापस कर दो; बिना दिल के हमारा दिल नहीं लगता!
नाम खुद कमाना पड़ता है
और बदनामी लोग आपको कमा के देते हैं
अजीब खेल है ये मोहब्बत का; किसी को हम न मिले कोई हमें ना मिला!
ऐ अन्ज़ान उससे कह दो कि, मोहब्बत नही आती, पर रहम तो आता होगा ना?
जो लोग दर्द को समझते हैं
वो लोग कभी भी दर्द की वज़ह नही बनते
इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं; चंद लम्हों में फ़ैसला न करो।
मुझे याद करने से ये मुद्दा था; निकल जाए दम हिचकियाँ आते आते।
बहुत दूर तक जाना पड़ता है
सिर्फ यह जानने के लिए, नज़दीक कौन है
खुद को अच्छा बना लीजिये
दुनिया से एक बुरा इंसान कम हो जाएगा