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Dard Shayari
खिंच चुके है मासूम जो नकाब
खिंच चुके है मासूम जो नकाब
खिंच चुके है मासूम जो नकाब चेहरों से खुद ही गिर जाएँगे एक दिन
न बेकार समय गँवा कुछ सच्चे चेहरे तलाश
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