धारा 377 सिर्फ मानवाधिकारों का एक उल्लंघन नहीं है बल्कि यह हमारे देश के लोकतंत्र को मृगतृष्णा की तरह बनाता है।
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धारा 377 सिर्फ मानवाधिकारों का एक उल्लंघन नहीं है बल्कि यह हमारे देश के लोकतंत्र को मृगतृष्णा की तरह बनाता है।
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