आज-कल तो सारी रात गुज़र जाती है बस इसी कश्मकश में कि... . . . . . . . . . . यह साली रजाई में हवा कहाँ से घुस रही है।
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आज-कल तो सारी रात गुज़र जाती है बस इसी कश्मकश में कि... . . . . . . . . . . यह साली रजाई में हवा कहाँ से घुस रही है।
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