एक दिन मैंने शेर के मुँह पर घूंसा मारा चीते की पूंछ खींच दी और हाथी को उठा कर नीचे फ़ेंक दिया। . . . . . . . बस फिर खिलौने वाले ने मुझे दुकान से बाहर निकाल दिया।
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एक दिन मैंने शेर के मुँह पर घूंसा मारा चीते की पूंछ खींच दी और हाथी को उठा कर नीचे फ़ेंक दिया। . . . . . . . बस फिर खिलौने वाले ने मुझे दुकान से बाहर निकाल दिया।
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