इन बादलों का मिज़ाज खूब मिलता है मेरे अपनों से; कभी टूट के बरस जाते हैं; तो कभी बे-रुखी से गुजर जाते हैं। सुप्रभात!
Like (0) Dislike (0)
इन बादलों का मिज़ाज खूब मिलता है मेरे अपनों से; कभी टूट के बरस जाते हैं; तो कभी बे-रुखी से गुजर जाते हैं। सुप्रभात!
Your Comment