उजाला काफी हो चुका है; उस शमा को बुझा दो; एक हसीं सुबह राह देख रही है आपकी; बस पलकों को हलके से उठा दो। सुप्रभात!
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उजाला काफी हो चुका है; उस शमा को बुझा दो; एक हसीं सुबह राह देख रही है आपकी; बस पलकों को हलके से उठा दो। सुप्रभात!
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