कल का दिन किसने देखा है आज का दिन भी खोये क्यों; जिन घड़ियों में हँस सकते हैं उन घड़ियों में फिर रोये क्यों। सुप्रभात!
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कल का दिन किसने देखा है आज का दिन भी खोये क्यों; जिन घड़ियों में हँस सकते हैं उन घड़ियों में फिर रोये क्यों। सुप्रभात!
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