कोई समझे ना समझे हम को बेशक मगर आप तो समझते हैं; अपना बनाते हैं मेरे हर गम को तभी तो हम संभलते हैं; खुदा हर एक ख़ुशी दे आपको हर एक गम हमको नसीब हो; बस यही दिल में सोचकर हर एक दुआ करते हैं। सुप्रभात!
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कोई समझे ना समझे हम को बेशक मगर आप तो समझते हैं; अपना बनाते हैं मेरे हर गम को तभी तो हम संभलते हैं; खुदा हर एक ख़ुशी दे आपको हर एक गम हमको नसीब हो; बस यही दिल में सोचकर हर एक दुआ करते हैं। सुप्रभात!
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