ना जाने कैसे पल में बदल जाते हैं ये फेसबुक के बदलते रिश्ते; जुड़कर कर कभी दिल जोड़ दे रूठें तो दिल तोड़ जाते हैं ये; ये फूल बन कर कभी खिलते हैं कहीं दिल में कांटे बनकर चुभते हैं ये; जाने कहाँ किस मोड़ पर देकर दगा दिल को छल जाते हैं ये; ये फेसबुक के बदलते रिश्ते!

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