जहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता है; कोई उठता है और तूफाँ का रुख मोड़ देता है; मुझे बे-दस्त-ओ-पा कर के भी खौफ उसका नहीं जाता; कहीं भी हादसा गुज़रे वो मुझसे जोड़ देता है। शब्दार्थ: बे-दस्त-ओ-पा = असहाय

Your Comment Comment Head Icon

Login