अय दिल ये तूने कैसा रोग लिया; मैंने अपनों को भुलाकर एक गैर को अपना मान लिया!
अय दिल ये तूने कैसा रोग लिया; मैंने अपनों को भुलाकर एक गैर को अपना मान लिया!
दर्द के मिलने से ऐ यार बुरा क्यों माना; उस को कुछ और सिवा दीद के मंज़ूर न था।
दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं; लोग अब मुझ को तेरे नाम से पहचानते हैं।
लौट आती है बेअसर मेरी माँगी हुई हर दुआ...
जाने कौन से आसमान पर मेरा खुदा रहता है।
सुना है आज उस की आँखों मे आसु आ गये
वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है
इस जहान में कब किसी का दर्द अपनाते हैं लोग; रुख हवा का देखकर अक्सर बदल जाते हैं लोग।
उनका हम से मिलना भी तो कुछ ऐसा था; जैसे लहरें मिल के समुंद्र से गले और बिछड़ जाती हैं।
दिलों में खोट जुबां से प्यार करते हैं; बहुत से लोग दुनिया में बस यही प्यार करते हैं।
तेरी महफ़िल से उठे तो किसी को खबर तक ना थी तेरा मुड़-मुड़कर देखना हमें बदनाम कर गया।
मेरे बारे में अपनी सोच को थोड़ा बदलकर देख; मुझसे भी बुरे हैं लोग तू घर से निकलकर देख।
सौ बार मरना चाहा उनकी निगाहों में डूब के; वो हर बार निगाहें झुका लेते हैं मरने भी नहीं देते।
दिल की किस्मत बदल न पाएगा; बंधनो से निकल न पाएगा; तुझको दुनिया के साथ चलना है; तु मेरे साथ चल न पाएगा।
अच्छा है डूब जाये सफीना हयात का; उम्मीदो-आरजूओं का साहिल नहीं रहा। अनुवाद: सफीना = नाव हयात = ज़िंदगी साहिल = किनारा
उन्हें शिकायत है हमसे कि हम हर किसी को देखकर मुस्कुराते हैं; ना समझ वो क्या जाने हम तो हर चेहरे में वो ही नज़र आते हैं।
मेरी वफाएं सभी लोग जानते हैं; उसकी जफ़ाएं सभी लोग जानते हैं; वो ही ना समझ पाए मेरी शायरी; दिल की सदाएं सभी लोग जानते है।