हम तो बातो-बातो में दिल की बात कह
जाते हैं... और कई
लोग... गीता पर हाथ रख कर भी, सच नहीं
कह पाते है..!!

देखी जो नब्ज मेरी हँस कर बोला वो हकीम
जा जमा ले महफिल दोस्तों के साथ तेरे हर मर्ज की दवा वही है

देखी जो नब्ज मेरी हँस कर बोला वो हकीम
जा जमा ले महफिल दोस्तों के साथ तेरे हर मर्ज की दवा वही है

मेरी तकदीर को बदल देंगे मेरे बुलंद इरादे,
मेरी किस्मत नहीं मोहताज मेरे हाँथों कि लकीरों कि !!!

यूँ तो हम खुद ही ज़माने से तेरे इश्क का ऐलान कर दें
मगर तेरे नाम की अफवाहों का मज़ा ही कुछ और है

तुम्हे उल्फ़त नही मुझसे मुझे फुर्सत नही तुम से
अजीब शिकवा सा रहता है तुम्हे मुझसे मुझे तुम से

छोड़ दिया सबको बिना वजह तंग करना
जब कोई अपना समझता ही नही
तो उस को अपनी याद दिला कर क्या करना

मेरा ईश्क हदें तब भूल जाता है जब लड़ते लड़ते वो कहती है
लेकिन प्यार मैं ज्यादा करती हूं तुमसे

नहीं करेंगे आज के बाद कभी मन्नतें तुम्हारी
खुदा जब राजी होगा तब तुम तो क्या हर चीज़ मेरी होगी

सोचते‬ हैं जान‬ अपनी उसे‬ मुफ्त ‎ही‬ दे दें‬
इतने‬ मासूम ‪से‬ खरीदार‬ से ‎क्या‬ लेना ‪देना‬

इतना जलाने के बाद भी वो ज़ालिम धुआं ढूंढते हे
निकलते हे आंसू कहाँ से इतने पूछकर कुआं ढूंढते हे

आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग...
.
.
जब "रूह" निकल जाएगी तो कफन हटा-हटा कर देखेंगे लोग.......

तलवार कि धार से ज्यादा हमारी जुबान चलति हें
मौत का ख्वाब क्या दिखाता हे वो तो खुद हमसे डरती हे

वक़्त और दोस्त मिलते तो मुफ्त हैं ,
लेकिन उनकी कीमत का अंदाज़ा तब होता हैजब ये कहीं खो जाते हैं.

माना की लीखना कोई बहादुरी की
शान नहीं हैं, पर यारो, थोडा रहम करो,
मेरी कोई status की दुकान नहीं हैं ।